SSC परीक्षा प्रणाली में बदलाव या दिखावा? छात्रों की परेशानियाँ बरकरार

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने हाल ही में अपनी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं (CBT) के लिए TCS की जगह एक नए वेंडर (EDUQUITY) को चुना। इस बदलाव को "सिस्टम सुधार" के तौर पर पेश किया गया, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि छात्रों को अभी भी परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी समस्याओं, लापरवाही और अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है।

सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में SSC परीक्षा प्रणाली में सुधार हुआ है, या सिर्फ वेंडर का नाम बदल दिया गया है?


छात्रों की शिकायतें: पुरानी समस्याएं, नया वेंडर

हाल में आयोजित SSC परीक्षाओं में छात्रों ने सोशल मीडिया और विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर अपनी परेशानियाँ साझा कीं, जिनमें शामिल हैं:

  • कीबोर्ड/माउस न काम करना – कई केंद्रों पर उम्मीदवारों को प्रश्न टाइप करने में दिक्कत हुई।

  • सिस्टम क्रैश या हैंग होना – परीक्षा के बीच में कंप्यूटर बंद हो जाने से समय की हानि हुई।

  • अनियमित निगरानी – कुछ केंद्रों पर परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें मिलीं।

  • तकनीकी सहायता का अभाव – समस्याएँ आने पर स्टाफ की प्रतिक्रिया धीमी या अनुपस्थित रही।

ये समस्याएँ वही हैं जो TCS के समय में भी सामने आती थीं। इससे साफ जाहिर होता है कि मूल समस्या वेंडर बदलने से नहीं, बल्कि प्रणालीगत कमियों और जवाबदेही के अभाव से है।


क्या वेंडर बदलना काफी है?

SSC ने TCS की जगह EDUQUITY को चुनकर यह संकेत दिया कि वह "सिस्टम को बेहतर बनाना" चाहता है। लेकिन अगर नए वेंडर के तहत भी छात्रों को वही दिक्कतें झेलनी पड़ें, तो इस बदलाव का क्या मतलब है?

मुख्य मुद्दे:

  1. वेंडर चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव – क्या नए वेंडर को चुनते समय पिछली गलतियों को सुधारने का प्रयास किया गया?

  2. केंद्रों का उचित मूल्यांकन नहीं – क्या परीक्षा स्थलों की तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता की जाँच की गई?

  3. छात्र-हितैषी नीतियों का अभाव – क्या तकनीकी खराबी होने पर छात्रों को नुकसान की भरपाई का कोई प्रावधान है?


SSC को क्या करना चाहिए?

अगर SSC वास्तव में परीक्षा प्रणाली में सुधार चाहता है, तो उसे निम्न कदम उठाने चाहिए:

✅ केंद्रों का सख्त मूल्यांकन – परीक्षा से पहले हर केंद्र की तकनीकी और प्रबंधन क्षमता की जाँच हो।
✅ रियल-टाइम शिकायत निवारण – परीक्षा के दौरान छात्रों की समस्याओं का तुरंत समाधान हो।
✅ पारदर्शी रिपोर्टिंग – हर परीक्षा के बाद तकनीकी समस्याओं और सुधारों की रिपोर्ट जारी की जाए।
✅ जवाबदेही तय करना – अगर वेंडर या केंद्र प्रशासन लापरवाही करे, तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो।


निष्कर्ष: बदलाव दिखावा नहीं, जमीन पर नजर आना चाहिए

SSC परीक्षा लाखों युवाओं के भविष्य का सवाल है। वेंडर बदलना कोई समाधान नहीं है, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता, जवाबदेही और छात्र-केंद्रित सुधार जरूरी हैं।

अगर SSC वास्तव में सुधार चाहता है, तो उसे छात्रों की आवाज़ सुननी होगी और ठोस कार्रवाई करनी होगी – न कि सिर्फ "नाम बदलकर" खानापूर्ति करनी होगी।


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